प्रश्न-हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्तीय समाधान और जमाराशि बीमा विधेयक, 2017 पेश किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इससे संबंधित निम्न कथनों पर विचार कीजिए-
(i) यह प्राइवेट कंपनियों के दिवालियापन की स्थिति से निपटने के लिए एक व्यापक समाधान उपलब्ध कराएगा।
(ii) इसके तहत बैंकों, बीमा कंपनियों और वित्तीय संस्थाओं में दिवालियापन की स्थिति से निपटने के लिए एक व्यापक समाधान से जुड़े प्रावधान उपलब्ध होंगे।
(iii) इस विधेयक के लागू होने पर एक समाधान निगम स्थापित होगा।
निम्न कथनों में से कौन-सा सही है/हैं-
(a) केवल (i)
(b) केवल (ii) तथा (iii)
(c) केवल (i) तथा (iii)
(d) (i),(ii) तथा (iii)
उत्तर-(b)
संबंधित तथ्य
- 14 जून, 2017 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्तीय समाधान और जमाराशि बीमा विधेयक (Financial Resolution and Deposit Insurance bill)-2017 को पेश किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
- इस विधेयक में बैंकों, बीमा कंपनियों और वित्तीय संस्थाओं में दिवालियापन की स्थिति से निपटने के लिए व्यापक समाधान से जुड़े प्रावधान उपलब्ध होंगे।
- इस विधेयक के लागू होने पर एक समाधान निगम की स्थापना हेतु मार्ग प्रशस्त होगा।
- इससे इस विधेयक की अनुसूचियों में सूचीबद्ध क्षेत्रवार अधिनियम के समाधान संबंधी प्रावधानों को समाप्त करने अथवा संशोधित करने में मदद मिलेगी।
- इससे परिणामस्वरूप निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम, 1961 को समाप्त करने से लेकर जमा राशि बीमा अधिकारों के स्थानांतरण और समाधान निगम के प्रति उत्तरदायित्व को स्थापित करना भी संभव होगा।
- समाधान निगम वित्तीय प्रणाली के स्थायित्व और दृढ़ता का संरक्षण करेगा और एक तर्कसंगत सीमा तक बाध्यताओं के दायरे में उपभोक्ताओं का संरक्षण करेगा तथा एक संभव सीमा तक लोगों के धन का भी संरक्षण करेगा।
- इस विधेयक का लक्ष्य वित्तीय तौर पर खस्ताहाल वित्तीय सेवा प्रदाताओं के उपभोक्ताओं को राहत देना है।
- खस्ताहाल कारोबारों को बचाने के लिए सार्वजनिक धन के इस्तेमाल को सीमित करके वित्तीय संकट के समय में वित्तीय सेवा प्रदाताओं के बीच अनुशासन स्थापित करना भी इसका लक्ष्य है।
- इसके साथ ही बड़ी संख्या में खुदरा जमाकर्ताओं के लाभ के लिए जमाराशि बीमा के मौजूदा ढांचे को सशक्त और सुसंगत बनाना है।
- गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में गैर वित्तीय संस्थाओं के तरलता समाधान के लिए तरलता और दिवालियापन संहिता, 2016 को लागू किया है।
- प्रस्तावित विधेयक वित्तीय क्षेत्र के लिए एक समाधान कार्यक्रम प्रस्तुत करके उपरोक्त संहिता के प्रतिपूरक की भूमिका निभाता है।
- इसके लागू हो जाने पर संहिता के साथ यह विधेयक अर्थव्यवस्था के लिए एक व्यापक समाधान आधारित कार्यक्रम उपलब्ध करायेगा।
संबंधित लिंक
http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=165620
http://www.thehindu.com/business/Industry/cabinet-approves-introduction-of-bill-for-resolution-of-financial-entity-bankruptcy-cases/article19047944.ece