तीन तलाक पर उच्चतम न्यायालय के संवैधानिक पीठ का ऐतिहासिक निर्णय

Supreme Court verdict against instant triple talaq

प्रश्न-हाल ही में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को समाप्त कर दिया। तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने वाला विश्व का पहला देश कौन-सा था?
(a) ईरान
(b) मिस्र
(c) इराक
(d) बांग्लादेश
उत्तर-(b)
संबंधित तथ्य

  • 22 अगस्त, 2017 को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने ऐतिहासिक निर्णय में 18 माह की सुनवाई के बाद 3-2 के बहुमत से तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा को समाप्त कर दिया।
  • उच्चतम न्यायालय ने इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 के तहत असंवैधानिक कहा है।
  • इस पांच सदस्यीय संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर के अलावा न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति यू.यू. ललित तथा न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर शामिल थे।
  • न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर ने अल्पमत निर्णय में तीन तलाक को गलत माना, लेकिन इसे रद्द करने से इंकार कर दिया।
  • उच्चतम न्यायालय ने (बहुमत की राय में) कहा कि ‘तीन तलाक गैरकुरानी और गैर इस्लामी है। यह इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है। कोई भी ऐसी चीज जो गैरकुरानी है, उसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। जो धर्म में गलत है, वह कानून में सही नहीं हो सकता है।
  • न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर ने कहा कि 6 माह के दौरान कोई पति-पत्नी को तीन तलाक नहीं देगा।
  • उच्चतम न्यायालय ने संसद को इस पर कानून बनाने का निर्देश भी दिया।
  • ज्ञातव्य है कि वर्ष 2016 में देहरादून के मुस्लिम समुदाय की एक महिला ‘शायरा बनो’ द्वारा दाखिल याचिका पर सुनाई करते हुए 30 मार्च, 2017 को उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ द्वारा तीन तलाक के मामले को पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ को सौंप दिया गया था।
  • 11 मई, 2017 से तीन तलाक के मुद्दे पर संवैधानिक पीठ ने सुनवाई शुरू की।
  • न्यायालय मित्र (Amicus Curiae) सलमान खुर्शीद ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस्लाम के तहत निकाह में एक पुरुष और एक महिला के अधिकार एवं उत्तरदायित्व विभाजित हैं। कुरान, तलाक के लिए मध्यस्थता और सुलह के अवसर प्रदान करने के लिए तीन महीने की प्रक्रिया निर्धारित करता है। उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अनुसार, तीन तलाक पाप है, फिर भी वैध है।
  • सुनवाई शुरू होते ही मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर ने स्पष्ट किया कि इस मामले को तीन बिंदुओं के तहत समझा जा सकता है-
    (i) क्या तीन तलाक इस्लाम के मूल में है, अगर ऐसा है, तो हमें यह देखना होगा कि क्या हम हस्तक्षेप कर सकते हैं?
    (ii) क्या यह सांस्कारिक है या नहीं?
    (iii) क्या एक प्रवर्तनीय मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है?
  • केंद्र सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय के समक्ष निम्न प्रश्न उठाए गए-
    (i) संविधान के तहत प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार (अनु. 25) के तहत तीन तलाक निकाह-हलाला और बहुविवाह की इजाजत दी जा सकती है या नहीं?
    (ii) समानता का अधिकार (अनु.14) और गरिमा के साथ जीने का अधिकार (अनु.21) तथा धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार (अनु.25) में किसे प्राथमिकता प्रदान की जाए?
    (iii) पर्सनल लॉ को संविधान के अनु. 13 के तहत कानून माना जाएगा या नहीं?
    (iv) क्या तीन तलाक, निकाह-हलाला और बहुविवाह उन अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत सही हैं, जिस पर भारत ने भी हस्ताक्षर किए हैं।
  • वर्तमान में कम-से-कम 22 इस्लामी देश हैं जिन्होंने इस प्रथा को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है।
  • इन देशों में पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, तुर्की, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया आदि देश शामिल हैं।
  • मिस्र पहला देश था जिसने वर्ष 1929 में इस प्रथा को समाप्त किया था।

संबंधित लिंक
http://www.thehindu.com/news/resources/article19539934.ece/BINARY/Triple%20talaq%20verdict
http://abpnews.abplive.in/india-news/sc-says-triple-talaq-is-unconstitutional-five-main-points-of-the-verdict-675688
http://www.livelaw.in/supreme-court-said-triple-talaq-judgment-read-judgment/

http://www.bbc.com/news/world-asia-india-41008802