भगौड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018

प्रश्न-भगौड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 के तहत कितनी राशि या इससे अधिक राशि के आर्थिक अपराध इस विधेयक के कार्यक्षेत्र के अंदर आएंगे?
(a) 90 करोड़ रुपए
(b) 95 करोड़ रुपए
(c) 100 करोड़ रुपए
(d) 150 करोड़ रुपए
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य

  • 1 मार्च, 2018 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा संसद में भगौड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 को रखने के वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई।
  • इस विधेयक में भारतीय न्यायालयों के कार्यक्षेत्र से बाहर रहकर कानूनी प्रक्रिया से बचने वाले आर्थिक अपराधियों की प्रवृत्ति को रोकने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं।
  • 100 करोड़ रुपए या इससे अधिक राशि के आर्थिक अपराध इस विधेयक के कार्यक्षेत्र के अंदर आएंगे।
  • इस विधेयक से भगौड़ा आर्थिक अपराधियों के संबंध में कानून का राज पुनर्स्थापित होने की संभावना है।
  • इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद ऐसे आर्थिक अपराधियों को भारत आने के लिए बाध्य किया जाएगा और वे सूचीबद्ध अपराधों का कानूनी सामना करने हेतु बाध्य होंगे।
  • इससे इस प्रकार के अपराधियों द्वारा की गई वित्तीय चूकों में अंतर्विष्ट रकम की उच्चतर वसूली में बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं को मदद प्राप्त होगी और ऐसी संस्थाओं की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा।
  • इस विधेयक की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
    1. किसी व्यक्ति के भगौड़ा आर्थिक अपराधी घोषित होने पर विशेष न्यायालय के समक्ष आवेदन करना।
    2. विशेष अदालत आर्थिक अपराधी को भगौड़ा घोषित करेगी।
    3. भगौड़े आर्थिक अपराधी की संपत्ति को जब्त किया जाएगा।
    4. विशेष न्यायालय भगोड़े अपराधी को नोटिस जारी करेगा।
    5. ऐसे अपराधी की बेनामी संपत्ति सहित भारत और विदेशों में उसकी अन्य संपत्ति जब्त की जाएगी।
    6. भगौड़े आर्थिक अपराधी को किसी भी सिविल दावे का बचाव करने से अपात्र बनाना।
    7. अधिनियम के अंतर्गत जब्त संपत्ति के प्रबंधन और निपटान हेतु एक प्रशासक की नियुक्ति की जाएगी।
     ऐसे मामले में जहां किसी व्यक्ति के भगौड़ा घोषित होने के पूर्व किसी भी समय कार्यवाही के समानांतर भगौड़ा आर्थिक अपराधी भारत वापस आ जाता है और सक्षम न्यायालय के समक्ष पेश होता है, तो उस स्थिति में प्रस्तावित अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही रोक दी जाएगी।
  • इस विधेयक में सभी आवश्यक संवैधानिक रक्षा उपाय जैसे अधिवक्ता के माध्यम से व्यक्ति को सुनवाई का अवसर, उत्तर दाखिल करने हेतु समय देना, उसे भारत अथवा विदेश में समन भिजवाना तथा उच्च न्यायालय में अपील करने जैसे प्रावधान किए गए हैं।
  • यह विधेयक वर्तमान कानूनों में व्याप्त कमियों के परिहार व भारतीय न्यायालयों के कार्यक्षेत्र से बाहर रहकर भारतीय कानूनी प्रक्रिया से बचने वाले आर्थिक अपराधियों की प्रावृत्ति के निरोधात्मक तय करने के दृष्टिगत प्रस्तावित किया गया है।
  • इस विधेयक में एक न्यायालय (धन-शोधन रोकथाम अधिनियम, 2002 के अंतर्गत विशेष न्यायालय) का प्रावधान है।
  • इस कानून के तहत उस व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी माना जाएगा, जिसके खिलाफ किसी अधिसूचित अपराध में न्यायालय में वारंट जारी किया गया है और उसने अभियोग से बचने हेतु देश छोड़ दिया है अर्थात विदेश भाग गया है और भारत वापस आने से इंकार कर रहा है।
  • आर्थिक अपराधों की सूची को इस विधेयक की तालिका में अंतर्विष्ट किया गया है।
  • ज्ञातव्य है कि भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों में गैर-दोषसिद्धि आधारित संपत्ति के जब्त करने की प्रवृत्ति अपराध के प्रति यूनाइटेड नेशन्स कन्वेंशन (भारत द्वारा वर्ष 2011 में मान्य) से अनुसमर्थित है।
  • इस विधेयक में इसी सिद्धांत को अंगीकार किया गया है।
  • वर्तमान केंद्र सरकार (मोदी सरकार) द्वारा आम बजट 2017-18 में इस प्रकार का विधेयक लाने की घोषणा की गई थी।

संबंधित लिंक
http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=176920
http://pib.nic.in/newsite/PrintHindiRelease.aspx?relid=70967