प्रश्न-अभी हाल ही में इलिनोइस विश्वविद्यालय (शिकागो) के वैज्ञानिकों द्वारा कार्बन डाईऑक्साइड को उपयोगी ईंधन के रूप में प्रयोग करने हेतु तंत्र विकसित किया गया है, इस प्रक्रिया में किस प्रकार की सौर बैटरी का प्रयोग किया जायेगा?
(a) फोटोवोल्टिक
(b) फोटोसिंथेटिक
(c) कार्बनिक
(d) उपयुक्त में कोई नहीं
उत्तर-(b)
संबंधित तथ्य
- 29 जुलाई, 2016 को जर्नल साइंस (Journal Science) में प्रकाशित शोध के अनुसार इलिनोइस विश्वविद्यालय (शिकागो) के वैज्ञानिकों द्वारा कार्बन डाईऑक्साइड को उपयोगी ईंधन के रूप में प्रयोग करने हेतु पत्ती की तरह सौर्य कोश (Solar Cell) विकसित किया गया।
- इस सौर्य कोश द्वारा सूर्य की रोशनी का उपयोग किया जाएगा तथा वातावरण में मौजूद कार्बन डाईऑक्साइड को रिसाइकल करके उसे ईंधन में परिवर्तित किया जायेगा।
- इस प्रक्रिया में नई सौर बैट्री फोटोवोल्टिक के स्थान पर फोटो-सिंथेटिक का प्रयोग किया जायेगा।
- इसके द्वारा ईंधन कोशिकाओं द्वारा निर्मित संश्लेषण गैस (Co2) जो कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन का मिश्रण है को डीजल या अन्य हाइड्रोकार्बन ईंधन के रूप में रूपांतरित किया जायेगा।
- इसमें टंगस्टन का उपयोग एक उत्प्रेरक के रूप में किया गया है।
- उल्लेखनीय है कि जीवाश्म ईंधन के प्रयोग से ग्रीन हाउस गैस में वृद्धि होती है।
- ध्यातव्य है कि कार्बन डाईऑक्साइड एक हानिकारक ग्रीन हाउस गैस है।
संबंधित लिंक भी देखें…
http://science.sciencemag.org/content/353/6298/467
http://www.climatecentral.org/news/artificial-leaf-turns-co2-into-fuel-20577
https://www.engadget.com/2016/08/01/uic-solar-co2-fuel/